Saturday, April 7, 2012

वो हसीन पल


बहुत याद आते हैं वो हसीन पल
तेरे साथ गुज़ारे हँसते खेलते रगीन पल.

तू हंसती थी मैं हंसाता था
तू रूठती थी मैं मनाता था.

तू खत लिखती थी मैं छुपा लेता था
तू शर्मा जाती थी मैं हाथ थाम लेता था.

बारिश की बूंदों में तुझे खींच के ले जाना मेरा
पैरों से पैरो की छुअन और सीने से लग जाना तेरा.

घंटों मुलाकातों के बाद बिछड़ जाना
दूरियाँ अधिक हों तो फिर हिचकियाँ लेना.

नज़र से नजर मिले तो तेरा अंगडाई लेना
जाने के नाम से फिर सिसकियाँ भरना.

आज भी सावन की फुआरें ले आती है दिल में हलचल
देखने को तरस जाती हैं आँखें मन जाता है मचल.

बहुत याद आते हैं वो हसीन पल
तेरे साथ गुजरे हँसते खेलते रंगीन पल.

7 comments:

  1. बढ़िया प्रस्तुति ||

    सादर ||

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  2. इन यादों की अपनी अहमियत होती है ...

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  3. memories.. u can never get rid of or don't want to because so sweet they are..

    lil details in your write up made it more n more beautiful !!

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  4. नए प्रतीक...नए भाव....
    बहुत सार्थक और अच्छी सोच....सुन्दर कविता.... सुंदर भावाभिव्यक्ति.

    बधाई और आभार.

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  5. बेहद उम्दा रचना है ... आभार !

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  6. http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/04/blog-post_11.html

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